क्या डिग्रियाँ लेने और पैसा कमाने से हमारा भविष्य अच्छा होगा?
कई लोगों को लगता है, वे जितना ज़्यादा पढ़ेंगे और पैसा कमाएँगे, उतना ही चैन से जीएँगे। उनका मानना है कि विश्वविद्यालय से पढ़ाई करने से वे अपना हुनर बढ़ा पाएँगे और अच्छी नौकरी कर पाएँगे। साथ ही इससे उनके घर-परिवार और समाज को भी फायदा होगा। उन्हें यह भी लगता है कि डिग्रियाँ लेने से वे खूब पैसा कमा पाएँगे और पैसा होगा, तो वे खुश रहेंगे।
ज़्यादातर लोगों की उम्मीदें
चीन देश के एक व्यक्ति, जाँग चैन कहते हैं, “हम लोग बहुत गरीब थे। मुझे लगता था किसी तरह डिग्री पा लूँ, तो लाइफ बन जाएगी। फिर बस खुशियाँ-ही-खुशियाँ होंगी।”
कई लोग जानी-मानी यूनिवर्सिटी से डिग्री लेना चाहते हैं, ताकि आगे चलकर उनकी ज़िंदगी आराम से कटे। देखा गया है कि पिछले कुछ सालों से लोग पढ़ाई के लिए विदेश जाने लगे हैं और ऐसे लोगों की गिनती बढ़ती ही जा रही है। हाँ फिलहाल कोरोना महामारी की वजह से लोगों का जाना थोड़ा कम हो गया है। ‘आर्थिक सहयोग और विकास संगठन’ ने 2012 की एक रिपोर्ट में बताया कि विदेश में पढ़नेवाले विद्यार्थियों में से आधे-से-ज़्यादा एशिया के देशों के हैं।
अपने बच्चों को विदेश भेजने के लिए माता-पिता अकसर कई त्याग करते हैं। सीसियांग जो ताइवान से हैं, कहते हैं, “मेरे माता-पिता पैसेवाले नहीं थे। फिर भी उन्होंने हम चारों बच्चों को पढ़ाई के लिए अमरीका भेजा।” सीसियांग के माता-पिता ने अपने बच्चों की फीस भरने के लिए काफी कर्ज़ लिया, जैसा कि कई माता-पिता करते हैं।
नतीजा
यह सच है कि पढ़ाई करने से ज़िंदगी कुछ हद तक बेहतर हो जाती है, लेकिन कई विद्यार्थियों ने देखा है कि जैसा वे सोचते हैं, वैसा हमेशा होता नहीं। कई लोग फीस भरने के लिए कर्ज़ लेते हैं और उसे चुकाने के लिए सालों तक मेहनत करते रहते हैं। फिर भी उन्हें मनचाही नौकरी नहीं मिलती। सिंगापुर के एक अखबार में बताया गया था, “आज-कल ऐसा बहुत हो रहा है कि डिग्री होने के बावजूद लोगों को नौकरी नहीं मिल रही।” ताइवान के रहनेवाले जियैनजीए जो बहुत पढ़े-लिखे हैं, कहते हैं, “आज कई लोगों को ऐसी नौकरी करनी पड़ती है जिसका उनकी डिग्री से कोई लेना-देना नहीं है।”
कई लोगों को अपनी पसंद की नौकरी तो मिल जाती है, मगर खुशी नहीं मिलती। थाईलैंड के रहनेवाले नायरन के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। वे पढ़ाई के लिए यूरोप गए थे और अपने देश लौटने पर उन्हें अपनी पसंद की नौकरी मिल गयी। वे कहते हैं, “जैसे मैंने उम्मीद की थी, डिग्री होने की वजह से मुझे एक अच्छी तनख्वाहवाली नौकरी मिल गयी। पर वे मुझसे इतनी देर-देर तक काम करवाते थे कि पूछो मत। जान निकल जाती थी! कुछ समय बाद कंपनी ने ज़्यादातर लोगों को नौकरी से निकाल दिया और मेरी भी नौकरी चली गयी। तब मुझे समझ में आया कि हमारे पास अच्छी-से-अच्छी नौकरी क्यों न हो, यह इस बात की गारंटी नहीं कि आनेवाला कल अच्छा होगा।”
कई बार अमीर लोगों को देखकर लगता है कि वे तो बहुत खुश होंगे, लेकिन वे भी कई समस्याओं से जूझते हैं। वे भी बीमार पड़ते हैं, उनके घर में भी झगड़े होते हैं और उन्हें भी पैसों को लेकर चिंता होती है। जापान के रहनेवाले काटसूतोशी कहते हैं, “मेरे पास सबकुछ था, किसी चीज़ की कमी नहीं थी। फिर भी मैं खुश नहीं था, क्योंकि लोग मुझसे जलते थे और मेरे साथ बुरा सलूक करते थे।” वियतनाम की रहनेवाली लाम कहती हैं, “कई लोग यह सोचकर बहुत सारा पैसा कमाते हैं कि आगे चलकर चैन से जीएँगे, लेकिन इसका उलटा ही होता है। वे और ज़्यादा चिंता करने लगते हैं, बीमार पड़ जाते हैं और निराशा में डूब जाते हैं।”
फ्रैंक्लिन की तरह बहुत-से लोगों को एहसास हुआ है कि सिर्फ पढ़ाई-लिखाई और धन-दौलत से खुशी नहीं मिलती। ऐसी कई बातें हैं जो इससे कहीं ज़्यादा मायने रखती हैं। कुछ लोगों को लगता है कि अगर वे भले काम करें, दूसरों की मदद करें, तो वे खुश रहेंगे। क्या वाकई ऐसा है? आइए अगले लेख में इस सवाल का जवाब जानें।