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अपने बच्चे को सेक्स के बारे में समझाइए

अपने बच्चे को सेक्स के बारे में समझाइए

चुनौती

कुछ दशकों पहले अकसर ऐसा होता था कि माता-पिता ही सबसे पहले बच्चों को सेक्स के बारे में समझाते थे। फिर जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते या जैसी उनकी ज़रूरतें होतीं, उस हिसाब से वे अपने बच्चों को इस बारे में और बताते।

मगर अब वे हालात नहीं रहे, सब बदल गया है। लोलिता का असर (अँग्रेज़ी) नाम की किताब में लिखा है कि आज बच्चों को बहुत कम उम्र में ही सेक्स से जुड़ी बातें देखने-सुनने को मिलने लगी हैं और बच्चों के लिए टीवी चैनल पर ऐसे प्रोग्राम या फिर किताबें-पत्रिकाओं में सेक्स से जुड़े विषय बढ़ते ही जा रहे हैं। पर क्या इनसे बच्चों को फायदा हो रहा है या फिर नुकसान?

आपको क्या मालूम होना चाहिए?

हर जगह सेक्स से जुड़ी बातें देखने-सुनने को मिलती हैं। आज बहुत-सी ऐसी चीज़ें हैं, जैसे विज्ञापन, लोगों की बातचीत, फिल्में, किताबें, गीत के बोल, वीडियो गेम्स, विज्ञापन के बोर्ड, मोबाइल, कंप्यूटर, मैसेज और टीवी प्रोग्राम, जिनमें गंदी बोली और तसवीरें देखने-सुनने को मिलती हैं। पहले मुझसे बात करो (अँग्रेज़ी) नाम की किताब में बताया गया है कि इन सब चीज़ों की वजह से आज बहुत-से बच्चों [किशोर, 7-12 साल के बच्चों या फिर उनसे भी छोटे बच्चों] को लगता है कि सेक्स ही सबकुछ है।

कुछ हद तक इसके लिए व्यापारी ज़िम्मेदार हैं। विज्ञापनों में बच्चों को भड़काऊ कपड़े पहने हुए दिखाया जाता है और दुकानदार भी ऐसे ही कपड़े बेचते हैं। इस तरह छोटी उम्र से ही बच्चे इस बात पर बहुत ज़्यादा ध्यान देने लगते हैं कि वे कैसे दिख रहे हैं। इतनी कम उम्र में सेक्सी हो जाना नाम की किताब में लिखा है, “व्यापारी यह अच्छी तरह जानते हैं कि सभी बच्चे चाहते हैं कि वे किसी से कम न दिखें और इसी बात का फायदा व्यापारी उठाते हैं। ये सारी चीज़ें और तसवीरें इसलिए तैयार की जाती हैं कि बच्चे ऐसे कपड़े खरीदें, न कि बच्चों के मन में गलत इच्छाएँ पैदा करने के लिए।”

सिर्फ जानकारी होना काफी नहीं है। गाड़ी कैसे चलायी जाती है, यह जानना काफी नहीं होता। इसके लिए ज़रूरी है कि हम एक ज़िम्मेदार चालक बनें। उसी तरह सेक्स के बारे में सिर्फ जानकारी होना काफी नहीं है। इस जानकारी की मदद से सही फैसले करना ज़्यादा मायने रखता है।

सौ बात की एक बात। आज यह पहले से कहीं ज़्यादा ज़रूरी है कि आप अपने बच्चों को अपनी “सोचने-समझने की शक्‍ति” का सही तरीके से इस्तेमाल करना सिखाएँ, जिससे कि वे “सही-गलत में फर्क” कर सकें।—इब्रानियों 5:14.

आप क्या कर सकते हैं?

बच्चों से बात कीजिए। सेक्स के बारे में अपने बच्चों से बात करना आपके लिए कितना भी अजीब या मुश्किल क्यों न हो, पर यह आपकी ज़िम्मेदारी है। इससे मत कतराइए।—पवित्र शास्त्र से सलाह: नीतिवचन 22:6.

छोटी-छोटी चर्चा कीजिए। एक ही दिन सबकुछ बताने के बजाय समय-समय पर अपने बच्चों से बात कीजिए, जैसे घर का काम करते वक्‍त या गाड़ी में एक साथ कहीं जाते वक्‍त। बच्चों से इस तरह के सवाल कीजिए, जिससे वे अपने दिल की बात खुलकर बता सकें। उदाहरण के लिए, यह पूछने के बजाय, “क्या आपको ऐसे विज्ञापन अच्छे लगते हैं?” आप कुछ ऐसा पूछ सकते हैं, “आप क्या सोचते हैं, चीज़ें बेचने के लिए विज्ञापन में ऐसी तसवीरें क्यों दिखायी जाती हैं?” जब बच्चा जवाब दे, तो आप पूछ सकते हैं, “इस बारे में आपको क्या लगता है?”—पवित्र शास्त्र से सलाह: व्यवस्थाविवरण 6:6, 7.

उम्र के हिसाब से बातचीत कीजिए। 2-5 साल के बच्चों को लैंगिक अंगों के नाम सिखाए जा सकते हैं। आप उन्हें यह भी सिखा सकते हैं कि वे कैसे खुद को ऐसे लोगों से बचा सकते हैं, जो उन्हें गलत तरह से छूना चाहते हैं। जैसे-जैसे बच्चे बड़े होने लगते हैं, आप उन्हें इस बारे में थोड़ी जानकारी दे सकते हैं कि बच्चे कैसे पैदा होते हैं। जब वे थोड़े और बड़े होते हैं, तब तक आपको उन्हें सेक्स के बारे में और जानकारी और इससे जुड़ी नैतिक बातों के बारे में बता देना चाहिए।

नैतिक स्तरों के बारे में बताइए। बच्चों को छुटपन से ही ईमानदारी, वफादारी और आदर करने के बारे में सिखाइए। फिर जब आप बच्चों को सेक्स से जुड़ी बातें समझाएँगे, तो आपके बच्चे इन नैतिक बातों का सेक्स से क्या नाता है, यह समझ पाएँगे। बच्चों को यह भी बताइए कि इस बारे में आपको क्या सही लगता है और क्या गलत। जैसे, अगर आप मानते हैं कि शादी से पहले सेक्स करना गलत है, तो उन्हें यह साफ-साफ बताइए। यह भी बताइए कि यह क्यों गलत है और इससे क्या-क्या नुकसान होते हैं। माता-पिताओं के लिए लिखी एक किताब में बताया गया है कि जो बच्चे जानते हैं कि उनके माता-पिता को किशोर बच्चों का सेक्स करना पसंद नहीं है, उनमें से ज़्यादातर बच्चे ऐसा नहीं करते।

अच्छी मिसाल रखिए। आप उन स्तरों पर खुद भी चलिए, जो आप बच्चों को सिखाते हैं। ज़रा सोचिए, क्या आप भद्दे मज़ाक पर हँसते हैं? भड़काऊ कपड़े पहनते हैं? इश्कबाज़ी करते हैं? ऐसे में आप जो भी सिखाएँ, उन बातों का बच्चों पर कोई असर नहीं होगा।—पवित्र शास्त्र से सलाह: रोमियों 2:21.

सेक्स गलत है यह मत सिखाइए। सेक्स परमेश्वर की तरफ से एक तोहफा है और इस तोहफे का इस्तेमाल जब शादी के बाद किया जाता है, तो इससे बहुत खुशी मिलती है। (नीतिवचन 5:18, 19) अपने बच्चों को बताइए कि शादी के बाद उन्हें भी यह खुशी मिलेगी। अगर वे शादी से पहले ऐसा करते हैं, तो उन्हें दुख पहुँचेगा और वे निराश हो जाएँगे।—1 तीमुथियुस 1:18, 19. ▪ (g16-E No. 5)