ज़िंदगी सँवार देती है बाइबल
“मेरा व्यवहार जंगलियों की तरह था”
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जन्म: 1960
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देश: फिनलैंड
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उसका अतीत: हैवी मैटल संगीत बजानेवाला
मेरा अतीत:
मेरा घर तुरकू में था, जो एक बंदरगाह शहर था। मेरी परवरिश एक ऐसे परिवार में हुई जिसकी आमदनी बहुत कम थी। मेरे पिता एक अच्छे मुक्केबाज़ थे और उन्होंने बहुत-से मुकाबले जीते थे। मैं और मेरा छोटा भाई भी मुक्केबाज़ी में खूब हिस्सा लेते थे। स्कूल के दिनों में बच्चे अकसर मुझे लड़ने के लिए उकसाते थे और मैं भी मुक्केबाज़ी पर उतर आता था। बड़ा होते-होते मैं बदनाम और बुरे लड़कों के गिरोह में शामिल हो गया। इससे मैं और भी ज़्यादा खूँखार और हिंसक हो गया। मेरा रुझान हैवी मैटल (हिंसक और तेज़ बजनेवाला) संगीत में बढ़ने लगा और मैं इस क्षेत्र में एक चमकता सितारा बनने का सपना देखने लगा।
इस सपने को पूरा करने के लिए मैं कुछ ड्रम सेट लेकर आया और एक बैंड तैयार किया। और कुछ ही वक्त में मैं बैंड का मुख्य गायक बन गया। मुझे स्टेज पर पागलों की तरह बेसुध होकर गाना अच्छा लगता था। हमारा बैंड बहुत-ही उग्र था और हम दिखने में भी डरावने लगते थे। इसलिए लोगों में हम मशहूर हो गए। हम बहुत-से दर्शकों के आगे अपना संगीत बजाते थे और हमने इसकी कुछ रिकॉर्डिंग भी बनायीं। इनमें से कुछ रिकॉडिंग लोगों को बहुत अच्छी लगीं। सन् 1980 में हम अमरीका गए, ताकि हमारे बैंड को ख्याती मिले। फिनलैंड जाने से पहले हमने न्यू यॉर्क और लॉस ऐंजलिस में भी अपने कार्यक्रम पेश किए। इस तरह संगीत जगत की जानी-मानी हस्तियों से हमारे संपर्क बन गए।
हालाँकि मैं अपने बैंड में खुश था, मगर मुझे एक ऐसी ज़िंदगी की तलाश थी जिसका कोई मकसद हो। मैं संगीत जगत के रूखेपन को देखकर निराश हो गया और अपनी बेकार की ज़िंदगी से तंग आ चुका था। मुझे लगता था कि मैं बहुत बुरा इंसान हूँ और इसलिए मुझे नरक की आग में जलाया जाएगा। यह सोचकर मुझे बहुत डर लगता था। इस डर से बचने के लिए मैं हर तरह की धार्मिक किताबों में अपने सवालों के जवाब ढूँढ़ता और परमेश्वर से मदद की गुहार लगाता। लेकिन मन-ही-मन मुझे लगता था कि मैं कभी परमेश्वर को खुश नहीं कर पाऊँगा।
बाइबल ने किस तरह मेरी ज़िंदगी सँवार दी:
मैं अपना गुज़ारा चलाने के लिए इलाके के एक डाक घर में काम करने लगा। एक दिन मुझे पता लगा कि जिनके साथ मैं काम करता हूँ, उनमें से एक यहोवा का साक्षी भी है। मैं उससे एक-के-बाद-एक सवाल करने लगा। वह सोच-समझकर बड़े तर्क के साथ बाइबल का इस्तेमाल करके मुझे जवाब देता था। इससे मुझमें और जानने
की इच्छा जागी और मैंने उसे अपने साथ बाइबल अध्ययन करने के लिए कहा। मुझे बाइबल अध्ययन करते हुए कुछ हफ्ते ही बीते थे कि हमारे बैंड को अमरीका में एक संगीत एलबम रिलीस करने का सुनहरा मौका मिला। मुझे लगा कि यह मेरी ज़िंदगी का सबसे बड़ा मौका था।जिस साक्षी के साथ मैं बाइबल अध्ययन करता था, उससे मैंने कहा कि मैं बस एक और एलबम बनाना चाहता हूँ, फिर मैं बाइबल के सिद्धांतों को पूरी गंभीरता से लागू करूँगा। उसने बिना कोई राय दिए मुझे मत्ती 6:24 में दर्ज़ यीशु के शब्द पढ़ने को कहा। आयत कहती है: “कोई भी दो मालिकों का दास बनकर सेवा नहीं कर सकता।” यीशु के कहे इन शब्दों को पढ़कर मैं चौंक गया। कुछ दिनों बाद, मेरी एक बात ने बाइबल सिखानेवाले उस भाई को चौंका दिया। मैंने उससे कहा मैंने बैंड छोड़ दिया है और मैं यीशु के पीछे चलना चाहता हूँ।
बाइबल आईने की तरह मेरी गलतियों को साफ उजागर कर रही थी। (याकूब 1:22-25) मैंने पाया कि मेरा व्यवहार बहुत-ही खूँखार था, मैं घमंडी था और मुझमें बड़ा बनने का जुनून सवार था। मैं गंदी भाषा का इस्तेमाल करता था, दूसरों से लड़ाई करता और हद-से-ज़्यादा शराब भी पीता था। जब मैंने जाना कि मेरी ज़िंदगी बाइबल सिद्धांतों के बिलकुल उलट है, तो मुझे लगा कि मैं अब तक अपनी ज़िंदगी बस यूँ ही बरबाद कर रहा था। अब मैं ज़रूरी फेरबदल करने के लिए तैयार था।—इफिसियों 4:22-24.
“स्वर्ग में रहनेवाला हमारा पिता बहुत दयालु है। वह चाहता है कि पश्चाताप करनेवालों के मन में पाप की वजह से जो घाव हुए हैं, उसे वह भर दे”
अपनी पिछली गलतियों के बारे में सोचकर पहले मुझे बहुत बुरा लगता था। लेकिन जिस भाई के साथ मैं बाइबल अध्ययन करता था उसने मेरी बहुत मदद की। उसने मुझे बाइबल से यशायाह 1:18 दिखाया जो कहता है: ‘तुम्हारे पाप चाहे लाल रंग के हों, तौभी वे हिम की नाईं उजले हो जाएंगे।’ इस आयत से और ऐसी ही दूसरी आयतों से मुझे यकीन हो गया कि स्वर्ग में रहनेवाला हमारा पिता बहुत दयालु है। वह चाहता है कि पश्चाताप करनेवालों के मन में पाप की वजह से जो घाव हुए हैं, उसे वह भर दे।
जब मैंने यहोवा और उसके प्यार को जाना, तब मैंने उसे अपनी ज़िंदगी समर्पित करने का फैसला किया। (भजन 40:8) मैंने सन् 1992 को रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में हुए एक अंतर्राष्ट्रीय अधिवेशन में बपतिस्मा लिया।
मुझे क्या फायदा हुआ:
मैंने यहोवा के साक्षियों के बीच बहुत से बढ़िया दोस्त पाए हैं। हम अकसर साथ मिलकर अच्छे संगीत बजाते हैं और परमेश्वर के इस तोहफे का मज़ा लेते हैं। (याकूब 1:17) और एक सबसे खास आशीष जो मुझे मिली, वह है क्रिसटीना से मेरी शादी। वह सुख-दुख में मेरी साझेदार है। उसके साथ मैंने ज़िंदगी की हर खुशी, चुनौती और जज़्बात बाँटे हैं।
अगर मैं यहोवा का एक साक्षी नहीं बनता तो मैं आज ज़िंदा नहीं रहता। बीते समय में मैं बार-बार मुश्किलों में फँसता रहा हूँ, लेकिन आज मेरे जीने का एक असल मकसद है और सबकुछ अच्छा चल रहा है। ▪ (w13-E 04/01)