गीत 156
अनदेखी साफ देखूँ
1. सामने हो शेर या बैरी,
मुँह उनका बंद करे याह।
है यहोवा साथ खड़ा,
वो दुश्मन से बड़ा;
यकीं है हौसला याह देगा।
(कोरस)
देखूँ मैं साफ,
विश्वास की लौ है दिल में।
देखूँ मैं साफ,
इस अँधेरे में भी!
मुझमें ताकत भरता याह,
ना हारूँ, है ठाना।
देखूँ मैं यहोवा है करीब—
देखूँ मैं साफ।
2. वादों को दूर से देखा
याह के वफादारों ने।
जीवन-भर सह सके
विश्वास की आँखों से;
लौट आएँगे इनाम पाने।
(कोरस)
देखूँ मैं साफ,
विश्वास की लौ है दिल में।
देखूँ मैं साफ,
इस अँधेरे में भी!
मुझमें ताकत भरता याह,
ना हारूँ, है ठाना।
देखूँ मैं यहोवा है करीब—
देखूँ मैं साफ।
(खास पंक्तियाँ)
अनदेखी पे
जब रखूँ नज़र मैं,
तकलीफें हो जातीं
धुँधली।
आशा मेरी
दिल की गहराई में बसी,
तो सह सकूँ मैं आज कुछ भी।
3. खुद को फिरदौस में देखूँ,
चैन से जीऊँ जहाँ।
सहूँ हिम्मत से,
जानूँ दिन जल्द आए
जब फतह यहोवा पाएगा।
(कोरस)
देखूँ मैं साफ,
विश्वास की लौ है दिल में।
देखूँ मैं साफ,
इस अँधेरे में भी!
मुझमें ताकत भरता याह,
ना हारूँ, है ठाना।
देखूँ मैं यहोवा है करीब—
देखूँ मैं साफ।
देखूँ मैं साफ!
(इब्रा. 11:1-40 भी देखें।)